नेहरू बाल पुस्तकालय >> चूहा सात पूंछों वाला चूहा सात पूंछों वालागिजुभाई बधेका
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गिजुभाई बधेका द्वारा लिखित चुलबुली रचना चूहा सात पूछों वाला ...
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
शिक्षक भाई-बहनों से
लीजिए, ये है बाल-कथाएं। आप बच्चों को इन्हें सुनाइए। बच्चे इनको
खुशी-खुशी और बार-बार सुनेंगे। आप इन्हें रसीले ढंग से कहिए, कहानी सुनाने
के लहजे से कहिए। कहानी भी ऐसी चुनें, जो बच्चों की उम्र से मेल खाती हो।
भैया मेरे, एक काम आप कभी न करना। ये कहानियां आप बच्चों को रटाना नहीं
बल्कि, पहले आप खुद अनुभव करें कि ये कहानियां जादू की छड़ी-सी हैं।
यदि आपको बच्चों के साथ प्यार का रिश्ता जोड़ना है तो उसकी नींव कहानी से डालें। यदि आपको बच्चों का प्यार पाना है तो कहानी भी एक जरिया है। पंडित बनकर कभी कहानी नहीं सुनाना। कील की तरह बोध ठोकने की कोशिश नहीं करना। कभी थोपना भी नहीं। यह तो बहती गंगा है। इसमें पहले आप डुबकी लगाएं, फिर बच्चों को भी नहलाएं।
यदि आपको बच्चों के साथ प्यार का रिश्ता जोड़ना है तो उसकी नींव कहानी से डालें। यदि आपको बच्चों का प्यार पाना है तो कहानी भी एक जरिया है। पंडित बनकर कभी कहानी नहीं सुनाना। कील की तरह बोध ठोकने की कोशिश नहीं करना। कभी थोपना भी नहीं। यह तो बहती गंगा है। इसमें पहले आप डुबकी लगाएं, फिर बच्चों को भी नहलाएं।
गिजुभाई
चूहा सात पूंछों वाला
एक था चूहा। नाम था चूंचूं। उसकी सात पूंछें थीं। एक दिन उसकी मां ने उसे
पढ़ने को स्कूल भेजा। वहां उसकी सात पूंछें देख कर लड़के चिढ़ाने लगे :
चूहा सात पूंछों वाला, देखो सात पूंछों वाला
चूहा सात पूंछों वाला, देखो सात पूंछों वाला
चूहा रोता-रोता घर लौटा। मां ने पूछा, ‘क्या हो गया मेरे लाल को ? क्यों रो रहा है ?’ चूहा बोला, ‘ऊं ऊं ऊं..मां, सब लड़के मुझे सात पूंछें वाला कह कर चिढ़ाते हैं।’ मां ने कहा, ‘जा, एक पूंछ कटवा ले !’ चूहा नाई के घर पहुँचा और एक पूंछ कटवा ली। अब छह पूंछे रह गईं ! दूसरे दिन जब वह स्कूल गया, तो लड़के उसे फिर चिढ़ाने लगे:
चूहा छह पूंछों वाला, देखो छह पूंछों वाला
चूहा छह पूंछों वाला, देखो छह पूंछों वाला
चूहा। ऊं ऊं ऊं...करता हुआ फिर घर आया और रुठ कर एक कोने में जा बैठा। मां ने कहा, ‘अरे, खाना तो खा ले। भूख नहीं लगी है, क्या ?’ चूहा बोला, ‘‘मैं नहीं खाऊंगा। सब बच्चे मुझे चूहा छह पूंछों वाला कह कर चिढ़ाते हैं। ’मां ने कहा, ‘नाई के घर जा कर एक पूंछ कटवा ले।’ चूहा नाई के घर गया और एक पूंछ और कटवा आया। अब उसके पांच पूंछें थीं।
चूहा सात पूंछों वाला, देखो सात पूंछों वाला
चूहा सात पूंछों वाला, देखो सात पूंछों वाला
चूहा रोता-रोता घर लौटा। मां ने पूछा, ‘क्या हो गया मेरे लाल को ? क्यों रो रहा है ?’ चूहा बोला, ‘ऊं ऊं ऊं..मां, सब लड़के मुझे सात पूंछें वाला कह कर चिढ़ाते हैं।’ मां ने कहा, ‘जा, एक पूंछ कटवा ले !’ चूहा नाई के घर पहुँचा और एक पूंछ कटवा ली। अब छह पूंछे रह गईं ! दूसरे दिन जब वह स्कूल गया, तो लड़के उसे फिर चिढ़ाने लगे:
चूहा छह पूंछों वाला, देखो छह पूंछों वाला
चूहा छह पूंछों वाला, देखो छह पूंछों वाला
चूहा। ऊं ऊं ऊं...करता हुआ फिर घर आया और रुठ कर एक कोने में जा बैठा। मां ने कहा, ‘अरे, खाना तो खा ले। भूख नहीं लगी है, क्या ?’ चूहा बोला, ‘‘मैं नहीं खाऊंगा। सब बच्चे मुझे चूहा छह पूंछों वाला कह कर चिढ़ाते हैं। ’मां ने कहा, ‘नाई के घर जा कर एक पूंछ कटवा ले।’ चूहा नाई के घर गया और एक पूंछ और कटवा आया। अब उसके पांच पूंछें थीं।
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